आइये आज मैं ले चलता हूँ आपको एक यात्रा पर... यह यात्रा है मेरे गाँव,मेरी जन्मभूमि *गंगोलीहाट* की ओर।
उत्तराखंड राज्य के एक खूबसूरत जिले पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट तहसील जहाँ मेरा गांव चोढियार है।
यहां के आकर्षण का केंद्र है देवदार के वृक्षों से ढंका हुआ *माँ हाट कलिका मंदिर*।
हमारा गांव चोढियार एक बहुत ही सुन्दर व एक शानदार जगह पर स्थित है।यहाँ गांव में ही *माँ चामुंडा मंदिर* बहुत प्रसिद्द मंदिर है।
मैं इस यात्रा में आपको बताऊंगा कि हम लोग सभी त्योहारों को तो मनाते ही हैं परंतु उन सभी में मशहूर त्यौहार होली पर्व को हम किस प्रकार मनाते हैं।
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमे सभी लोग आपस में एकजुट होकर खुशियां बांटते हैं।
हमारे गांव में होली को विशेष तरीके से मनाया जाता है।हमारे गांव की होली आसपास के 9 गाँव में जाती है और प्रत्येक गांव के प्रत्येक घर में होली का गायन किया जाता है जिसमे खड़ी होली,बैठक होली,बंजारा आदि गाया जाता है।
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| होली गायन के लिए तैयार होल्यार |
इस प्रकार इस सम्पूर्ण कार्य के लिए एक महंत का चुनाव किया जाता है तथा पूरी होली उसी के आधार पर हर घर में होली का गायन करती है।
हमारा गांव शायद पहला ऐसा गांव है जहाँ की होली एक मंदिर में चीरबंधन के साथ शुरू होती है और माँ चामुंडा के मंदिर में होली गायन के साथ समाप्त होती है।
जिस प्रकार आज के समाज में होली का त्यौहार केवल फूहड़ता का विषय बनकर रह गया है उन लोगों के लिए हमारे गांव की होली एक प्रेरणा स्वरुप है।
शहरो में जहाँ छलड़ी के दिन खूब शोर शराबा,नाच गाना के बाद होली ख़त्म हो जाती है वहीँ हमारे गांव में छलड़ी के दिन भी एक पुरे गांव में होली गायन होता है और शाम को महंत के द्वारा सभी गायकों को धन्यवाद् दिया जाता है तथा उसके बाद महंत की अनुमति के साथ ही लोग गले मिलते हैं और सभी को होली की मुबारकबाद देते हैं।
मेरा अपने गांव की होली के बारे में बताने का केवल यह उद्देश्य है कि आज हमारे समाज को अच्छाई के मार्ग पर चलने की बहुत अधिक आवश्यकता है क्योंकि आज के समय में सभो त्यौहार आदि केवल इंसान के व्यसन आदि को पूरा करने के लिए मनाये जाते हैं जबकि हमारे गांव की होली इन लोगो के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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